-
-
ब्रह्मी से देवनागरी की लिपि यात्रा - उत्तर भारत की सबसे प्राचीन भाषा जिसके आज लिखित प्रमाण हैं, वह वैदिक संस्कृत थी और इसका प्रमाण है ऋग्वेद जो ईसा से करीब १५०० वर्ष पहले लिखा गया। विशेषज्ञ ...2 days ago
-
मेरा दिल जलता हुआ सूरज है। बदन के समंदर में बुझता हुआ। - बदन में पिघले हुए शब्द बहते रहते हैं। धीपते रहते हैं उँगलियों के पोर। सिगरेट हाथ में लेती हूँ तो लाइटर की ज़रूरत नहीं होती। दिल कमबख़्त, सोया हुआ ज्वाला...2 days ago
-
ललन चतुर्वेदी की कविताएं - इसमें कोई दो राय नहीं कि बढती हुई तकनीक के साथ मनुष्य की तकलीफें कम हो सकती थी और दुनिया ज्यादा खूबसूरत। लेकिन पाते है कि तकलीफें ही नहीं, उन से पार पाने ...2 days ago
-
कहने की कला - हेलेन केलर की एक कहानी ‘द फ़्रोस्ट किंग’ अंध विद्यालय की पत्रिका में प्रकाशित हुई। इसके बाद एक प्रतिष्ठित पत्रिका ने इसे प्रकाशित किया। पाठकों का इसकी ओर ध्...1 week ago
-
छेड़छाड़ भी सकारात्मक हो सकती है - घर की छत लगातार इस तरह के मनमोहक, रंग-बिरंगे गमलों से सजाई जा रही है. ये गमले उपयोग में आ चुकी वस्तुओं के साथ सकारात्मक छेड़छाड़ करके बनाये जा रहे हैं. ...2 weeks ago
-
जिन दिनों हम हिंदी फिल्मी ट्रेलरों पर ही फिदा थे .... - पिछली सदी का साठ, सत्तर, अस्सी का दशक भी हिंदी फिल्मों के नज़रिए से कमाल का था ....सब कुछ बा-कमाल का था....उस दौर की फिल्मों ने देश समाज को क्या दिया......3 weeks ago
-
शिव ~ पार्वती ( अमर युगल पात्र ) ( भाग - १ ) - ॐ ' ागर्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थ प्रतिपत्तये जगत पितरौ वन्दे पार्वती परमेश्वर। ' भावार्थः -- अहं विशिष्ट-शब्दार्थयोः सम्यक्-ज्ञानार्थं शब्दार्थौ एवं नित्य-सम...4 weeks ago
-
चौबारे पर एकालाप - पिछले साल लमही पत्रिका का एक कविता विशेषांक शशि भूषण मिश्र के संपादन में छपा। इसमें हिंदी के सौ कवि शामिल थे। इसमें मेरे दूसरे कविता संग्रह *चौबारे प...5 weeks ago
-
बनलता जोयपुर जंगलों के किनारे बसा फूलों का गाँव - पश्चिम बंगाल में ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे विख्यात जगह है तो वो है बिष्णुपुर। वर्षों पहले बांकुरा जिले में स्थित इस छोटे से कस्बे में जब मैं यहाँ के विख्या...2 months ago
-
नायक भेदा - नायिकाओं के अनेक भेद पढ़े होंगें आज जरा नायको के भेद भी पढ़िये और देखिये की आप किस श्रेणी मे आतें हैं । तो अलग अलग लोगों ने नायकों के अलग अलग भेद बताये...2 months ago
-
12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत? - *12th Fail : सपनों को कैश कराने का जरिया या प्रेरणा का स्रोत?* विधु विनोद चोपड़ा की हालिया रिलीज़ फिल्म "12th फेल" एक प्रेरणादायक कहानी है जो एक ऐसे लड़के...3 months ago
-
नंगे पैर चलकर पाश्चात्य दर्शन की नींव डाली और पी गया जहर! - *प्रा*चीन यूनान के शासक सिकंदर (Alexander) को विश्व विजेता कहा जाता है। लेकिन क्या आप सिकंदर के गुरु को जानते हैं? सिकंदर के गुरु अरस्तु (Aristotle) थे। ...5 months ago
-
धरती मां को बचाने की धुन में - इस चिट्ठी में, इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर में हुऐ भूमि उत्सव की चर्चा है। टैगोर इंटरनेशनल स्कूल की छात्र और छात्रायें, जिन्होंने एक प्रस्तुतिकरण दिया था। ...6 months ago
-
डॉल्बी विजन देखा क्या? - इससे पहले, अपने पिछले आलेख में मैंने आपसे पूछा था – डॉल्बी एटमॉस सुना क्या? यदि आपने नहीं सुना, तो जरूर सुनें. अब इससे आगे की बात – डॉल्बी विजन देखा क...7 months ago
-
हम बेल पर लगी ककड़ियाँ - एक उम्र ऐसी आती है कि हर महीने दो महीने में (पति के व्हट्स एप ग्रुप में ) समाचार आता है कि यह या वह चला गया. कोई सोए में तो कोई दो चार दिन की बीमारी ...10 months ago
-
कभी "ओलार" कभी "दाबू" - *कभी "ओलार" कभी "दाबू" #Pryagraj * "ओलार" यह शब्द प्रयागराज में ही प्रचलन में अधिक है। "ओलार" मतलब होता डिसबैलेंस हो जाना। जैसी आजकल पाकिस्तान की ...1 year ago
-
How to Make Seeded Oat Bread - How to Make Seeded Oat Bread You know those gorgeous seed-encrusted loaves of bread you see in bakery windows? The kind you see and think, that must take...1 year ago
-
टुकड़े टुकड़े गैंग ट्विस्ट - मई माह में एक फ्लैट किराए पर लेना था। संयोगवश एक फ्लैट के बारे में सूचना मिली जो लोकेशन, लोकेलिटी व उपलब्ध फर्नीचर आदि के स्तर पर उचित लगा। मुम्बई का सि...1 year ago
-
पाक मकड़ी.... पैग और नापाक पानी! - मैं पहला पेग उठाने ही वाला था कि कोई जंतु उपर से नीचे आया माने गिलास के नज़दीक ही था... मुझे एकदम हडबडाहट हो गयी, कुछ और नहीं सुझा तो टेबल से फुट उठा कर ...1 year ago
-
सिक्योरिटी के लिए खतरा भी हो सकती है स्मार्टवॉच, पहनने से पहले ये सावधानियां बरतें - आप जहां भी जाते हैं, आपकी स्मार्टवॉच भी साथ जाती है और आपके फोन के साथ जुड़ी होने की वजह से यह सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। तो क्या आपको फिटबिट, एपल व...1 year ago
-
सज्जन-मन - सब सहसा एकान्त लग रहा, ठहरा रुद्ध नितान्त लग रहा, बने हुये आकार ढह रहे, सिमटा सब कुछ शान्त लग रहा। मन का चिन्तन नहीं व्यग्रवत, शुष्क हुआ सब, अग्नि त...1 year ago
-
'राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा’ : मीना कुमारी की याद में - मीना आपा के भीतर कोई चंचल-शोख़ और मन की उड़ान भरती कोई बेफिक्र लड़की रही होगी...शायद कभी...क्या पता। पर उनके जीवन पर उदासी का ग्रहण इतना गहरा था कि व...1 year ago
-
प्रेम प्रलाप - मेरे प्रिय! हर घड़ी अकेला होना शायद बेहतर विकल्प है तुम्हारी दृष्टि में। मैं वह विकल्प नहीं बन सका जो बनना चाहता था। मुझे मेरी... The post प्रेम प्रलाप a...1 year ago
-
अब फोटो खींचकर पैसे कमाइए... - आप अच्छे फोटोग्राफर हो और जबरदस्त फोटो खींचते हो... आप उन फोटो का क्या करते हो??... यदि आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं, तब तो आप फोटो से पैसे कमाने के बहुत ...2 years ago
-
यादें: दो बाँके, एक फिल्म और जूही चावला की "मैं तेरी रानी तू राजा मेरा" - डिस्केलमर : ग्लोब के किसी हिस्से में नब्बे के दो दीवाने हुए। दो असल गंजहे। पर कानूनन यही कहना है कि इस किस्से का मजमून काल्पनिक माना जाए और किसी से इसका...2 years ago
-
प्राइस ऑफ़ मोदी इयर्स - *रविन्द्र वायकर* राजनीति के पुराने सिद्ध खिलाड़ी हैं। 92 में महापालिका कॉरपोरेटर से शुरुआत की, 2009 में विधायकी हासिल की, मंत्री बने, विधायकी अभी तक साधे...2 years ago
-
मंगलेश डबराल स्मृति: कवि के बस में था कि वह एक आत्मीय संसार रच दे - पब्लिक एजेंडा के ऑफ़िस में 2013 में मंगलेश जी के साथ मंगलेश जी की कविताओं से मेरा परिचय मंगलेश जी की कविताओं से मेरा परिचय ‘पहाड़ पर लालटेन’ (राधाकृष्ण प्...2 years ago
-
चुप गली और घुप खिडकी - एक गली थी चुप-चुप सी इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी इक रोज़ गली को रोक ज़रा घुप खिड़की से आवाज़ उठी चलती-चलती थम सी गयी वो दूर तलक वो देर तलक पग-पग घायल डग भर प...3 years ago
-
कोई दीप - कोई दीप जलाओ, बहुत अँधेरा है। चलते रहे जिन वीथियों पर भटकती पहुँचीं उन संगीतियों पर न अर्थ जिनका, न कोई डेरा है। सहेजते रहे ताड़पत्र गठरियाँ भर कि रचें...3 years ago
-
दो कदम आगे - तीन कदम पीछे - “अरी कौन साला विस नहीं किया” एक कड़कती सी आवाज़ ने नींद से बोझिल हो चुकी आँखों को झकझोर दिया । सवेरे के साढ़े तीन बज रहे थे और पिछले साढ़े चार घंटे से ज...3 years ago
-
-
-
पतझर का आसमान, पतझर की ज़मीन - *(पेंग्विन से छपी अपनी कहानियों की किताब, ‘तीन रोज़ इश्क़’ से चर्चित पूजा उपाध्याय पिछले कुछ वर्षों से उपन्यास पर काम कर रही हैं. यह उनका पहला उपन्यास ह...3 years ago
-
देवताओं के वंशज - समुद्र मंथन के बाद बचे हुए देवताओं के तथाकथित वंशज मानवता को मथते हुए हवस के हाथों बटोर रहे हैं सोना- चांदी, महल - सिंहासन अधिकार और कानून उंडेल रहे हैं आ...3 years ago
-
दुख प्रतियोगिता - कुछ व्यक्ति स्वभाव से आहें भरने वाले होते हैं । वह दुःख ओढ़ने को गरिमायुक्त बनाते हैं, सुख को छिछोरपने के मुहल्ले में पहुँचा देते हैं साधारणतया उनके वाक्...3 years ago
-
बातें इरु की - 1 - मम्मा - व्हाट इज नानूज नेम? इरु - बिजय मम्मा - व्हाट इज नानीज नेम? इरु - आनीटा मम्मा - व्हाट इज दादीज नेम? इरु - नेनु मम्मा - व्हाट इज दादाज नेम? इरु - उम्म ...3 years ago
-
झाड़ू पोछा वाला रोबोट जो बिस्कुट हड़प गया - भारतीय परिवेश में झाड़ू पोछा वाला रोबोट की कार्यप्रणाली और उसके साथ हुआ अनुभव बताता लेख3 years ago
-
झाड़ू पोछा वाला रोबोट जो बिस्कुट हड़प गया - भारतीय परिवेश में झाड़ू पोछा वाला रोबोट की कार्यप्रणाली और उसके साथ हुआ अनुभव बताता लेख3 years ago
-
झाड़ू पोछा वाला रोबोट जो बिस्कुट हड़प गया - भारतीय परिवेश में झाड़ू पोछा वाला रोबोट की कार्यप्रणाली और उसके साथ हुआ अनुभव बताता लेख3 years ago
-
-
जेएनयू की लहुलुहान पगडंडियो पर कभी कीट्स की प्रेम कविताये का जिक्र था... - अटखेलिया खाती इन पंगडंडियो के बीच से गुजरते हुये आपको एहसास प्रकृति का ही होगा । जो सुंदर दृश्य आपकी आंखो के सामने है वह बेहद आसानी से आपको उपलब्ध है । ये...4 years ago
-
नए निवेशक के लिए शेयर बाजार में मरफ़ी के नियम - नए निवेशक के लिए शेयर बाजार में मरफ़ी के नियम:- जब तक आप डीमेट/ट्रेडिंग खाता नहीं खुलवाते आपको बढ़ते शेयरों के समाचार आपको बहुत लुभाते है जिस दिन आप डीमेट खु...4 years ago
-
स्वतंत्रता और आवश्यकता - २ - हे मानवश्रेष्ठों, यहां पर ऐतिहासिक भौतिकवाद पर कुछ सामग्री एक शृंखला के रूप में प्रस्तुत की जा रही है। पिछली बार हमने यहां ‘मनुष्य और समाज’ के अंतर्गत स्व...5 years ago
-
मौसम... - एक समन्दर लिखना कुछ किनारे लिखना।। मै अपने लिख दूँगी तुम, तुम्हारे लिखना।। लिखना कैसी है वो बूंदें जो बारिश में बरसती है और कैसा है वो पानी जिनको आंखें तर...5 years ago
-
-
बदमाश औरत - कल से इक विवादास्पद लेखक की अपने किसी कमेंट में कही इक बात बार बार हथौड़े सी चोट कर रही थी ...." कुछ बदमाश औरतों ने बात का बतंगड़ बना दिया ...." बस वहीं इस क...6 years ago
-
वो....जो ख़ुद अभी बच्ची है - एक छोटी सी बच्ची। आठ माह का विकसित गर्भ लिए बैठी है। मां ने कहा तो फ्रॉक बदलकर सूट पहन लिया। फूले हुए पेट को दुपट्टे से छिपाने की कोशिश करती है। पर सूजा...6 years ago
-
चटख ललछौंहे रंग के कुरते के बावजूद - *आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ लिखत - पढ़त। एक कविता के रूप में। लीजिए यह साझा है :* *कवि का कुरता* यह कविता पाठ के मध्यान्तर का चाय अंतराल था जिसे कवि...7 years ago
-
जाति-वर्ग और आरक्षण विरोधी मानसिकता बनाम संघर्ष और सफलता - क्या दलितों और आदिवासियों पर होने वाले जुल्म, अत्याचार, पक्षपात, शोषण, दमन, बलात्कार, मार-पीट से सम्बंधित कारगुजारियों को कभी इतने बड़े पैमाने पर यह लोग पोस...7 years ago
-
अस्ताभ-व्यस्ताभ - भरे एक सिरे से और बहुत दिन पहले से सिरफिरा नेपथ्य में वर्तमान शीर्षस्थ जो भी था उसका जैसा भी था संकुचित दिनमान अनुमानित संभावनाओं का मानक मारीच जाली सामान...9 years ago
-
टिन्डिस (Tyndis) जिसे पोन्नानि कहते हैं - रोमन साम्राज्य के अभिलेखों में भारत के दक्षिणी तट के टिन्डिस (Tyndis) नामक बंदरगाह का उल्लेख मिलता है और आज के “पोन्नानि” को ही इतिहासकारों ने टिन्डिस होने...9 years ago
-
अरसा बीता.. - लम्हा,लम्हा जोड़ इक दिन बना, दिन से दिन जुडा तो हफ्ता, और फिर कभी एक माह बना, माह जोड़,जोड़ साल बना.. समय ऐसेही बरसों बीता, तब जाके उसे जीवन नाम दिया.. जब ...9 years ago
-
भगत सिंह, नास्तिकता और साम्यवाद. - व्यक्तित्व मूल्यांकन करने के कौन से औजार होने चाहिए , आने वाला समय इतिहास को किस दृष्टी से देखता है , व्यक्ति विशेष की सक्रियतों के मूल्यांकन के लिए कौन...10 years ago
-
मैने खुद को खोज लिया..तो हंगामा हो गया - *-आशीष देवराड़ी* क्वीन एक बेहतरीन फिल्म है जिसकी तस्दीक मल्टीप्लेक्सों की खाली पड़ी सीटे करती हैं। यह विडंबना ही है कि कहानी के मामलों में रिक्त फिल्में ज...10 years ago
-
तुम्हारे लिये!! - मैं लिखना चाहता हूँ... एक बेहद सरल कविता इतनी सरल जितना, सरल लिखना स-र-ल इतनी सरल कि मैं अपनी जीवन की कठिनाइयों के साथ भी, जब उस कविता की सानिध्य में ज...10 years ago
-
नुसरत बाबा की एक बेजोड़ बंदिश - नुसरत बाबा जो करते हैं सो अनूठा ही होता है. ये कंपोज़िशन सुनिये तो लगता है जैसे सुरों का एक दहकता अंगार हमारे बीच मौजूद है. उस्तादजी ने क़व्वाली विधा में काम ...12 years ago
-
भारतीय गणतन्त्र : राष्ट्रीय पर्व - भारतीय गणतन्त्र चिरायु हो इस राष्ट्रीय पर्व पर समस्त हार्दिक शुभकामनाएँ © डॉ. कविता वाचक्नवी / Dr. Kavita Vachaknavee [[ This is a content summary only. ...12 years ago
-
हिन्दी.blogspot.com या हिन्दी.tk लिखिए जनाब न कि hindi.blogspot.com या hindi.tk - हाल ही में *अनिल.blogspot.com* से गुजरा। अचंभित था कि ब्लॉग का नाम तो हिन्दी में दिखता है, लेकिन ब्लॉग का पता जिसे यू आर एल कहते है, वह हिन्दी में, अपनी ल...12 years ago
-
सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब : नासिरा शर्मा की कहानियाँ [3] - सियासत की अंधी सुरंगों में रोशनी के टूटते-बिखरते ख़्वाब सियासी मन-मस्तिष्क से बनायी गयी सुरंगें योजनाब्द्ध तो होती ही हैं, किसी-न-किसी उद्देश्य को भी रूपान्...12 years ago
-
योगासन से बीमार होते हैं ? - मैं पिछले आठ - दस साल से योगासन करता आ रहा हूँ |जब मैंने १९५० से निःशुल्क योगासन सिखाने वाले एक प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला लिया तो मुझसे मेरी ब...12 years ago
-
दूर छिपे उन दिनों का सपना - (आज लगभग दस सालों बाद लिखी गई कवितानुमा कोई चीज़) अखबार के पहले पन्ने पर रोते-बिलखते लोग बम फटने से मरे लोगों के परिजन बसे रहते हैं दिन भर मन में कहीं अंधेरी ...12 years ago
-
बच्चों का यौन शोषण - मेरा नजरिया. - अभी कुछ दिनों पहले रचना जी के नारी ब्लॉग पर उनका लेख " एक कहानी ख़त्म हो जाती है" पढ़ा जिसमे उन्होंने लड़कियों के यौन शोषण पर अपनी पीड़ा व्यक्त की थी और फिर...12 years ago
-
भेड़ियों के देश में - इसे पढ़ते पढ़ते सोचकर देखिये, आप एक दिन पास के ही सुंदर से जंगल में भ्रमण का विचार बनाते हैं और निकल पड़ते हैं अकेले ही। खुबसूरत वादियों, झरनों, पेड़ों से ...13 years ago
-
मैंने आपके पास इन्हें भेजा है.... इन लोगों का अपने घर पर दीवाली ( 5 Nov 2010) शुक्रवार को स्वागत करें. - सभी ब्लागर एवं पाठक , मैंने कई लोगों को आप लोगों के घर का पता आपसे बिना पूछे दे दिया है..... मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप इन लोगों का स्वागत अपने घर पर जरूर ...13 years ago
-
यहाँ हर सिम्त रिश्ते हैं जो अब मुश्किल निभाना है - बहुत आसाँ है रो देना, बहुत मुश्किल हँसाना है कोई बिन बात हँस दे-लोग कहते हैं "दिवाना है" हमारी ख़ुशमिज़ाजी पे तुनक-अंदाज़ वो उनका- "तुम्हें क्यों हर किसी को हम...13 years ago
-
‘तुम्हारे शहर में आए हैं हम, साहिर कहां हो तुम’ - - राजकुमार केसवानी इस दुनिया के दस्तूर इस क़दर उलझे हुए हैं कि मैं ख़ुद को सुलझाने में अक्सर नाकाम हो जाता हूं. पता नहीं क्या सही है और क्या ग़लत. ऐसे में...13 years ago
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
Sunday, January 2, 2011
हिन्दी चिट्ठाजगत
यह हिन्दी चिट्ठाजगत के चुनिन्दा बेहतरीन चिट्ठो के संकलन का एक प्रयास मात्र है ! चिट्ठे वही लिए गए है जो इस संकलक का व्यवस्थापक पढ़ता है!
Subscribe to:
Posts (Atom)