टिप्पणी के पीछे
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एक टिप्पणी आई, पता नहीं वो आदेश में है या आदेश से बाहर की मगर उन सबके मुँह
पर तमाचा है जो खुद को जबरदस्त धर्मनिरपेक्ष, जबरदस्त आदर्शवादी बताते नहीं
थकते ...
अंधविश्वास या वैज्ञानिक दृष्टिकोण चुनाव आपका है
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जब हमें बिटिया होने वाली थी तो अपने देशी मान्यता के अनुसार हमारी माता जी ने
पहले ही पता करने का प्रयास किया कि बेटा होगा या बेटी | इसमें होता ये हैं कि...
द्वंदात्मकता ही वैज्ञानिकता है
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अवैज्ञानिकता के कारण चारों ओर फैली सामाजिक अफरातफरी, राजनैतिकअराजकता,
व्यवहारिक झूठ, अंधविश्वास, हिंसकता, आत्ममुग्धता, अहंकार, लोभ-लालच आदि
सेह...
108 हैं चैनल ..पर दिल बहलते क्यों नहीं!
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यह लाइन मेरी लिखी नहीं है ...लगे रहो मुन्नाभाई के एक गीत की लाइन है
....लेकिन छोटी सी यह लाइन है बहुत पते की ...सोचने पर मजबूर करती तो है
ही...इस लिंक पर...
डिजिटल तस्वीरों के कूड़ास्थल
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एक इतालवी मित्र जो एक म्यूज़िक कन्सर्ट में गये थे, ने कहा कि उन्हें समझ
नहीं आता था कि इतने सारे लोग जो इतने मँहगे टिकट खरीद कर एक अच्छे कलाकार को
सुनने गय...
मेघ : सौंदर्य चिंतन के आयाम
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रमेश कुंतल मेघ के समग्र साहित्यिक कार्य पर एक अंक निकालने की योजना पर लंबे
समय से विचार चल रहा था। इसमें मुंबई से प्रकाशित चिंतनदिशा पत्रिका
मित्रमंडल...
माया
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हेल्युसिनेशन तो माया ही है किंतु एकाधिक अनुभूतियाँ इस तरह गुम्फित होती है
कि समझ नहीं आता ये माया, भ्रम, कोरी कल्पना, विभ्रम अथवा कुछ और है।
बरसों पीछे का...
एक्स्ट्रा वसूली
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रविवार को अकेला था तो मैं एलिफेंटा गुफाएं, जो कि मुंबई से कुछ दूर घड़ापुरी
नामक टापू पर हैं, देखने चला गया था। वहाँ जाने के लिए गेटवे ऑफ इण्डिया से
फैरी च...
हाय, हाय यह मजबूरी
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इस चिट्ठी में, आजकल आयी गर्मी की लहर और उससे निजात पाने के उपायों पर चर्चा
है।
हाय, हाय यह मजबूरी
यह मौसम और यह गरमी
उस पर, पानी की यह किल्लत
और साथ ...
संयोग
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पश्चिम बंगाल के पहाड़ों और सिक्किम से लौट आई. किन्तु उस पर बाद में.
कई अन्य बातें हैं जो अपने को लिखवाना चाह रही हैं.
बागडोगरा हवाईअड्डे पर उतरने के बाद ...
मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में
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एक बहुत ही गहन कोरस...और उस पर सचिन दा की आर्त पुकार....
‘ओ मां....मां...
मेरी दुनिया है मां तेरे आँचल में/
शीतल छाया दो दुःख के जंगल में’
यूं लगता है...
आसाराम के आश्रम एक लड़की की लाश मिली है
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गोंडा स्थित आसाराम के आश्रम में मिली लड़की की लाश, मां ने बताया हत्या का
कारण आसाराम बापू के नाम से जाने जाने वाले आसुमल थाउमल हरपलानी आज भी नाबालिग
लड़की क...
अब फोटो खींचकर पैसे कमाइए...
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आप अच्छे फोटोग्राफर हो और जबरदस्त फोटो खींचते हो... आप उन फोटो का क्या करते
हो??... यदि आप प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं, तब तो आप फोटो से पैसे कमाने के
बहुत ...
Homemade Sandwich, Slider and Burger Buns
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Homemade Sandwich, Slider and Burger Buns Just one recipe is all you need
to make homemade sandwich rolls and burger or slider buns. If you’re
looking to...
खाली गोड़ बुताओ सुट्टा, छाला कैसे नै पड़ेगा रे
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‘उसको सिगरेट पीते हुए देखे हो?’
‘काहे?’
‘अबे काहे के बच्चे, देखे हो कि नहीं?’
‘नै, हम तो नै देखे । कौनची हो गया जो पीबो करती है तो! दुनिया केन्ने से
क...
प्राइस ऑफ़ मोदी इयर्स
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*रविन्द्र वायकर* राजनीति के पुराने सिद्ध खिलाड़ी हैं। 92 में महापालिका
कॉरपोरेटर से शुरुआत की, 2009 में विधायकी हासिल की, मंत्री बने, विधायकी अभी
तक साधे...
डायोजिनीज़ (Diogenes) का एक प्रेरक प्रसंग
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डायोजिनीज़ (Diogenes) के जीवन से जुड़ा यह प्रेरक प्रसंग शान्तचित्त रहने के
अभ्यास को रेखांकित करता है। मनुष्य का स्वभाव है, प्रत्येक परिस्थिति एवं
कार्य के...
चुप गली और घुप खिडकी
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एक गली थी चुप-चुप सी
इक खिड़की थी घुप्पी-घुप्पी
इक रोज़ गली को रोक ज़रा
घुप खिड़की से आवाज़ उठी
चलती-चलती थम सी गयी
वो दूर तलक वो देर तलक
पग-पग घायल डग भर प...
कोई दीप
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कोई दीप जलाओ, बहुत अँधेरा है।
चलते रहे जिन वीथियों पर
भटकती पहुँचीं उन संगीतियों पर
न अर्थ जिनका, न कोई डेरा है।
सहेजते रहे ताड़पत्र गठरियाँ भर
कि रचें...
दो कदम आगे - तीन कदम पीछे
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“अरी कौन साला विस नहीं किया” एक कड़कती सी आवाज़ ने नींद से बोझिल हो चुकी
आँखों को झकझोर दिया ।
सवेरे के साढ़े तीन बज रहे थे और पिछले साढ़े चार घंटे से ज...
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रचना-सूत्र-गीताश्रीएक कृति से दूसरी कृति जन्म लेती है. वह महान कृति होती
है जिससे दूसरी कृति निकलती है. वह किताब महान जो दूसरी रचना का सूत्र देती
है. कसौट...
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* विज्ञान व्रत का नया ग़ज़ल संचयन प्रकाशित *
जुगनू ही दीवाने निकले
अंधियारा झुठलाने निकले
ऊंचे लोग सयाने निकले
महलों में तहख़ाने निकले
में तो सबकी ही जड़ में...
पतझर का आसमान, पतझर की ज़मीन
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*(पेंग्विन से छपी अपनी कहानियों की किताब, ‘तीन रोज़ इश्क़’ से चर्चित पूजा
उपाध्याय पिछले कुछ वर्षों से उपन्यास पर काम कर रही हैं. यह उनका पहला
उपन्यास ह...
देवताओं के वंशज
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समुद्र मंथन के बाद
बचे हुए देवताओं के
तथाकथित वंशज
मानवता को मथते हुए
हवस के हाथों
बटोर रहे हैं
सोना- चांदी, महल - सिंहासन
अधिकार और कानून
उंडेल रहे हैं
आम...
दुख प्रतियोगिता
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कुछ व्यक्ति स्वभाव से आहें भरने वाले होते हैं । वह दुःख ओढ़ने को गरिमायुक्त
बनाते हैं, सुख को छिछोरपने के मुहल्ले में पहुँचा देते हैं
साधारणतया उनके वाक्...
चमत्कार पर चमत्कार
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.भारत चमत्कारों का देश है. मुगलों ने चमत्कार किये – कहीं शिवालय को ताजमहल
बना दिया तो कहीं विष्णु मंदिर को क़ुतुबमीनार. कहीं ढाई दिन का झोपड़ा खड़ा है
तो कहीं...
नए निवेशक के लिए शेयर बाजार में मरफ़ी के नियम
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नए निवेशक के लिए शेयर बाजार में मरफ़ी के नियम:- जब तक आप डीमेट/ट्रेडिंग खाता
नहीं खुलवाते आपको बढ़ते शेयरों के समाचार आपको बहुत लुभाते है जिस दिन आप
डीमेट खु...
स्वतंत्रता और आवश्यकता - २
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हे मानवश्रेष्ठों,
यहां पर ऐतिहासिक भौतिकवाद पर कुछ सामग्री एक शृंखला के रूप में प्रस्तुत की
जा रही है। पिछली बार हमने यहां ‘मनुष्य और समाज’ के अंतर्गत स्वत...
मौसम...
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एक समन्दर लिखना
कुछ किनारे लिखना।।
मै अपने लिख दूँगी
तुम, तुम्हारे लिखना।।
लिखना कैसी है वो बूंदें
जो बारिश में बरसती है
और कैसा है वो पानी
जिनको आंखें तरस...
शक्ति बिना उत्सव सब फीके
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रस की चाह प्रबल, घट रीते,
शक्ति बिना उत्सव सब फीके।
सबने चाहा, एक व्यवस्था, सुदृढ़ अवस्था, संस्थापित हो,
सबने चाहा, स्वार्थ मुक्त जन, संवेदित मन, अनुनादित ह...
बदमाश औरत
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कल से इक विवादास्पद लेखक की अपने किसी कमेंट में कही इक बात बार बार हथौड़े सी
चोट कर रही थी ...." कुछ बदमाश औरतों ने बात का बतंगड़ बना दिया ...."
बस वहीं इस कव...
वो....जो ख़ुद अभी बच्ची है
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एक छोटी सी बच्ची। आठ माह का विकसित गर्भ लिए बैठी है। मां ने कहा तो फ्रॉक
बदलकर सूट पहन लिया। फूले हुए पेट को दुपट्टे से छिपाने की कोशिश करती है। पर
सूजा...
चटख ललछौंहे रंग के कुरते के बावजूद
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*आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर कुछ लिखत - पढ़त। एक कविता के रूप में। लीजिए यह
साझा है :*
*कवि का कुरता*
यह कविता पाठ के मध्यान्तर का
चाय अंतराल था
जिसे कवि...
अस्ताभ-व्यस्ताभ
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भरे एक सिरे से और बहुत दिन पहले से सिरफिरा नेपथ्य में वर्तमान
शीर्षस्थ जो भी था उसका जैसा भी था संकुचित दिनमान
अनुमानित संभावनाओं का मानक मारीच जाली सामान...
टिन्डिस (Tyndis) जिसे पोन्नानि कहते हैं
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रोमन साम्राज्य के अभिलेखों में भारत के दक्षिणी तट के टिन्डिस (Tyndis) नामक
बंदरगाह का उल्लेख मिलता है और आज के “पोन्नानि” को ही इतिहासकारों ने टिन्डिस
होने...
अरसा बीता..
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लम्हा,लम्हा जोड़ इक दिन बना,
दिन से दिन जुडा तो हफ्ता,
और फिर कभी एक माह बना,
माह जोड़,जोड़ साल बना..
समय ऐसेही बरसों बीता,
तब जाके उसे जीवन नाम दिया..
जब ...
भगत सिंह, नास्तिकता और साम्यवाद.
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व्यक्तित्व मूल्यांकन करने के कौन से औजार होने चाहिए , आने वाला समय इतिहास
को किस दृष्टी से देखता है , व्यक्ति विशेष की सक्रियतों के मूल्यांकन के लिए
कौन ...
मैने खुद को खोज लिया..तो हंगामा हो गया
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*-आशीष देवराड़ी*
क्वीन एक बेहतरीन फिल्म है जिसकी तस्दीक मल्टीप्लेक्सों की खाली पड़ी सीटे
करती हैं। यह विडंबना ही है कि कहानी के मामलों में रिक्त फिल्में ज...
तुम्हारे लिये!!
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मैं लिखना चाहता हूँ...
एक बेहद सरल कविता
इतनी सरल
जितना, सरल लिखना
स-र-ल
इतनी सरल कि
मैं अपनी जीवन की कठिनाइयों
के साथ भी, जब उस कविता की सानिध्य में ज...
नुसरत बाबा की एक बेजोड़ बंदिश
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नुसरत बाबा जो करते हैं सो अनूठा ही होता है.
ये कंपोज़िशन सुनिये तो लगता है जैसे सुरों का
एक दहकता अंगार हमारे बीच मौजूद है.
उस्तादजी ने क़व्वाली विधा में काम ...
योगासन से बीमार होते हैं ?
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मैं पिछले आठ - दस साल से योगासन करता आ रहा हूँ |जब मैंने १९५० से निःशुल्क
योगासन सिखाने वाले एक प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला लिया तो मुझसे
मेरी ब...
दूर छिपे उन दिनों का सपना
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(आज लगभग दस सालों बाद लिखी गई कवितानुमा कोई चीज़)
अखबार के पहले पन्ने पर रोते-बिलखते लोग
बम फटने से मरे लोगों के परिजन
बसे रहते हैं दिन भर मन में कहीं
अंधेरी ...
बच्चों का यौन शोषण - मेरा नजरिया.
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अभी कुछ दिनों पहले रचना जी के नारी ब्लॉग पर उनका लेख " एक कहानी ख़त्म हो
जाती है" पढ़ा जिसमे उन्होंने लड़कियों के यौन शोषण पर अपनी पीड़ा व्यक्त की
थी और फिर...
भेड़ियों के देश में
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इसे पढ़ते पढ़ते सोचकर देखिये, आप एक दिन पास के ही सुंदर से जंगल में भ्रमण
का विचार बनाते हैं और निकल पड़ते हैं अकेले ही। खुबसूरत वादियों, झरनों,
पेड़ों से ...
यहाँ हर सिम्त रिश्ते हैं जो अब मुश्किल निभाना है
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बहुत आसाँ है रो देना, बहुत मुश्किल हँसाना है
कोई बिन बात हँस दे-लोग कहते हैं "दिवाना है"
हमारी ख़ुशमिज़ाजी पे तुनक-अंदाज़ वो उनका-
"तुम्हें क्यों हर किसी को हम...
‘तुम्हारे शहर में आए हैं हम, साहिर कहां हो तुम’
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- राजकुमार केसवानी
इस दुनिया के दस्तूर इस क़दर उलझे हुए हैं कि मैं ख़ुद को सुलझाने में अक्सर
नाकाम हो जाता हूं. पता नहीं क्या सही है और क्या ग़लत. ऐसे में...